Swami Shri Chakradhar - महानुभाव पंथ के चार साधन


 -: मेरे चक्रधर:-

महानुभाव पंथ के चार साधन

श्री चक्रधर स्वामी - महानुभाव पंथ संस्थापक, पंच अवतार के अहम अवतार माने जाते है |

श्री चक्रधर स्वामी ने जब उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान किया तो सभी भक्तगण दु:खी होकर विलाप करने लगे ओर कहने लगे "स्वामी, आपकी याद आई तो, हम कैसे करे?" तो भगवान ने कहा "नाम, लिळा और मूर्ती-चेष्टा" इस प्रकार चतुर्विध स्मरण करे तथा स्थान-प्रसाद-भिक्षुक-वासनिक इन चार साधनोंकी सेवा-दास्य-भजन-पूजन करे| इस तरह हमारा मिलन होगा... 
इतना बतलाकर स्वामी श्री नागदेव आचार्य को धर्म कार्य सौपकर उत्तर दिशा की ओर निकल गये |

मित्रो! इन्ही चार साधनोकी सेवा-दास्य-भजन-पूजन करके हमे जीवन सफल बनाना है |

 चार साधन

१. स्थान : जिस जगह पर भगवान अपने भक्तोको ज्ञान उपदेश देते थे, और वह जगह भगवान के चरण स्पर्श पुनीत हो, वह स्थान पवित्र एवं दर्शनीय मना जाता है | वहाकी शीला (पत्थर) नामधारक को "विशेष" दर्शनीय है | उस पत्थर को "विशेष" मना जाता है |

२. प्रसाद : जीन वस्त्रोन का उपयोग स्वामी ने किया और अपने अनुयायी को दिया, वह वस्त्र नमस्कारी है और उन्हे प्रसाद कहा जाता है| आप जीन मंदिरोमे तथा अश्रमोमे प्रसाद नमन करते है वह इन्ही वस्त्रो का उपयोग करके बनाये गये है| 


३. भिक्षुक : श्री चक्रधर भगवान की सेवा में अनेक अनुयायी साथ थे वही परंपरा आज भी कायम है और वह भिक्षुक जीवनभर संन्यास लेकर भगवान की याद किया करते है और जीवन व्यतीत करते है, वह साधू-संत हमारे शुभकामनाये करते है, हमारे दु:ख-दर्द महसूस करके भगवान को याद करते है | वह साधू हमारे लिये भगवान के बराबर है और पूज्यनीय है !

४. वासनिक : भगवान की याद में अपना सब छोडकर संन्यासी जीवन व्यतीत करते है और संन्यास लेने की कामना करते है वह वासनिक कहलाते है| 

भगवान श्री चक्रधर स्वामी के अनुसार इन्ही चार साधनोकी सेवा-दास्य-भजन-पूजन करके भगवान को पाओगे...



जय श्री कृष्ण !!! जय श्री चक्रधर !!!

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