श्री चक्रधर शरणम
स्मरण हेतू
स्मरण सेवा विधी
स्मरण करना श्री चक्रधर स्वामी की याद करना है | विधी के अनुसार स्मरण करना बहुत जरुरी है, ब्रह्मविद्या शास्त्र में स्पष्ट रूप से बताया गया है| स्मरण करते समय एकांत करना ही उचित है| स्मरण (meditation) सदा भगवान के करीब जाने का एक मात्र साधन सभी धर्मो में मना गया है|
स्मरण करते समय - भगवान की मूर्ती, लिळा को याद करके दु:खी एवं याचक भाव से एकांत में नामस्मरण करना बहुत आवश्यक है|
पंच अवतार नामस्मरण विधी आप आपको अपने गुरुजी से मिल सकता है | भगवानको पाने के लिये प्रातः ३ से ५ प्रहर स्मरण करना उचित मना गया है|
श्री चक्रधर स्वामी कहते है, "पश्चात प्रहरी उठीजे"
नामधारक ने प्रातःसमई उठकर आलस्य परिहार करके मुखमार्जन करना आवश्यक है| तथा एकांत स्थान पर उत्तर दिशा की ओर दंडवत प्रणाम कर वज्रासन, कूर्मासन अथवा पद्मासन बैठकर स्थान ग्रहण करे व शुद्ध कपडा मुख पर लेकर कमसेकम १०८ मनी की १५ गाठी करे (मला जपे) कमसेकम १:३० मी पंच नाम का स्मरण करना बहुत उचित मना गया है|
|| अवतारे जो नधुरे तो काहीच नधुरे ||
- आचार्य नागदेव लिखित
श्री कृष्ण चक्रवर्ती महाराज शरणं
श्री दत्तात्रेय प्रभू महाराज शरणं
श्री चक्रपाणी महाराज शरणं
श्री गोविंद प्रभू महाराज शरणं
श्री चक्रधर स्वामी शरणं
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